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धृति  : स्त्री० [सं०√धृ+क्तितन्] १. धारण करने की क्रिया या भाव। २. धारण करने का गुण या शक्ति। धारणा-शक्ति। ३. चित्त या मन की अविचलता, दृढ़ता या स्थिरता। ४. धीर होने की अवस्था या भाव। धैर्य। ५. साहित्य में, एक संचारी भाव जिसमें इष्टप्राप्ति के कारण इच्छाओं की पूर्ति होती है। ६. दक्ष की एक कन्या, जो धर्म की पत्नी थी। ७. अश्वमेध की एक आहुति। ८. सोलह मातृकाओं में से एक। ९. अठारह अक्षरोंवाले वृत्तों की संज्ञा। १॰.. चंद्रमा की सोलह कलाओं में से एक कला का नाम। ११. फलित ज्योतिष में, एक प्रकार का योग। पुं० १. जयद्रथ राज के पौत्र का नाम। २. एक विश्वेदेव का नाम। ३. यदुवंशी वभ्र का पुत्र।
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धृतिमान (मत्)  : वि० [सं० धृति+मतुप्][स्त्री०]धृतिमती १. धैर्यवान् २. तुष्ट। तप्त।
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